Infographic on civil and criminal case differences in Indian courts – burden of proof, parties involved, outcomes.

नागरिक और आपराधिक मामले—मुख्य अंतर क्या होता है?

 भूमिका (Introduction)

भारतीय न्यायिक प्रणाली में दो मुख्य तरह के मुकदमे होते हैं: नागरिक (Civil) और आपराधिक (Criminal)। ये दोनों प्रकार अपनी प्रकृति, प्रक्रियाओं, जिम्मेदारियों और परिणामों में बहुत अलग होते हैं। इसे समझना महत्वपूर्ण है ताकि कोई व्यक्ति जान सके कि किस स्थिति में कौन सा मार्ग अपनाना चाहिए।

 नागरिक (Civil) केस क्या हैं?

ये वे मामले हैं जहाँ व्यक्तियों या संस्थाओं के बीच हितों का टकराव होता है—जैसे संपत्ति, विवाह, अनुबंध, संपत्ति विवाद, स्‍पुट आदि। 

यहाँ मुकदमा प्राइवेट पार्टी (प्लेंटिफ) द्वारा दायर किया जाता है और इसका उद्देश्य होती है मुआवज़ा, राहत या निषेधाज्ञा (injunction) प्राप्त करना। 

इसमें सज़ा के बजाए आर्थिक भुगतान या अनुबंध को पूरा करने का आदेश मिलता है। 

उदाहरण:

जमीन के मालिकाना हक़ पर विवाद

मोबाइल खरीदने पर डिफॉल्ट हुए मामले

पारिवारिक विवाद, जैसे माता-पिता का तलाक या बालों की कस्टडी

 आपराधिक (Criminal) केस क्या हैं?

ये ऐसे मामले होते हैं जहाँ समाज की सुरक्षा, व्यवस्था या सार्वजनिक हित के खिलाफ अपराध हुआ हो—जैसे हत्या, चोरी, बलात्कार आदि। 

राज्य/सरकार मुकदमा चलाती है, अर्थात पुलिस एफआईआर दर्ज करती है और अभियोजन करता है। 

यदि दोष सिद्ध हो, तो सजा—जेल, जुर्माना या दोनों दी जा सकती है। 

उदाहरण:

हत्या, चोरी, बलात्कार, फ्रॉड जैसे अपराध

彩 तुलनात्मक सारांश (Quick Comparison)

पहलू नागरिक केस (Civil) / आपराधिक केस (Criminal)

कंट्रोवर्सी निजी हित (property, contract, custody)/ सार्वजनिक अपराध (theft, murder)
मुकदमा कौन करता पीड़ित व्यक्ति (plaintiff) /राज्य/सरकार (prosecution)
शुरुआत सीधे अदालत में प्लांट दर्ज पुलिस में FIR → जांच → चार्जशीट
साक्ष्य का स्तर preponderance of evidence beyond reasonable doubt
नुकसान/सजा मुआवज़ा, injunction, specific performance/ जेल, जुर्माना, दोनों हो सकते हैं
नतीजा liable या not liable guilty या not guilty

 कैसे एक ही घटना से दोनों केस बन सकते हैं

Same incident पर civil और criminal दोनों मुकदमे हो सकते हैं। उदाहरण:

व्यक्ति A ने व्यक्ति B को ज़बरदस्ती मारा → आपराधिक केस (assault)

साथ ही B अदालत में A पर मुआवज़े के लिए civil केस भी लगा सकता है 

⚖️ विशेषज्ञ सिफारिश

सुरक्षित तरीका: यदि निजी हानि है, तो civil केस द्वारा मुआवज़ा और न्याय मांगना चाहिए।

जब अपराध हुआ हो—जिसमें न्यायपालिका की जिम्मेदारी हो—तो criminal केस ज़रूरी है।

易 निष्कर्ष (Conclusion)

नागरिक केस निजी हित संरचित और मुआवज़े पर आधारित होते हैं, जबकि आपराधिक केस सार्वजनिक सुरक्षा तथा सज़ा‑प्रणाली पर केंद्रित होते हैं।
सही मार्ग चुनने से समय, संसाधन और न्याय का फायदा मिलता है।

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