AI judge:The Future of Law

हाल ही में चीन देश में “स्मार्ट कोर्ट” बनाया गया है जहां छोटे-मोटे मामलों का निर्णय AI जज (Artificial intelligence Judge) द्वारा किया जा रहा है, वहीं एस्टोनिया देश में वित्तीय मामलों को सुलझाने के लिए AI जज का प्रयोग हो रहा है। दुनिया भर में इस बात परचर्चा हो रही है कि क्या यह भविष्य में मानवीय जज की जगह ले सकता है।
हमारे देश भारत में 2023 के आंकडों के आधार पर लगभग 5 करोड़ से ज़्यादा मुकदमें लंबित है। ऐसे में क्या AI जज, भारतीय न्यायपालिका के लिए वरदान साबित हो सकता है? इस आर्टिकल में हम इसके बारे में चर्चा करेंगें।

AI जज क्या होता है?

AI जज एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित सिस्टम है जो मशीन लर्निंग, डेटा एनालिसिस, नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग जैसी तकनीक का उपयोग कर कोर्ट केस, गवाहों के बयान, कानूनी प्रावधान आदि का विश्लेषण करके निष्पक्ष निर्णय देने की कोशिश करता है। यह कोई संवैधानिक प्राधिकरण नहीं है बल्कि विशेष तौर पर यह जजों को निर्णय लेने में मदद के लिए बनाया गया है।

भारतीय न्याय प्रणाली की वर्तमान स्थिति

लंबित वादो/मुकदमों की संख्या- वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालयों में और जिला न्यायालयों में 5 करोड़ से अधिक मुकदमें लंबित है।


न्यायाधीशों की कमी- हमारे देश 10 लाख लोग पर सिर्फ 21 जज ही है।


मुकदमों की अधिकता- प्रत्येक वर्ष लाखों नये केस दर्ज करायें जाते हैं।

क्या एआई जज इंसानी जज की जगह ले सकता है?

एआई जज में विशेष रूप से काफी प्रभावशाली क्षमताएं हैं लेकिन यह पूरी तरह से मानवीय जज के तौर पर जगह नहीं ले सकता। इसकी प्रमुख वजह यह कि मानवीय जज, नैतिकता, बुद्धिमत्ता और मानवीय संवेदनाओं के साथ निर्णय लेता है बल्कि एआई जज सिर्फ डेटा और विश्लेषण के आधार पर निर्णय करेगा।

एआई जज के फायदे –

कार्य कुशलता के साथ गति- तीव्रता के साथ करके तुरंत फैसला देने सक्षम है।


लंबित मामलों में कमी- इसकी मदद से मुकदमों की संख्या कम की जा सकती है और न्यायपालिका का भार कम किया जा सकता है।


निष्पक्ष निर्णय – इसमें मानवीय भावनाएं न होने से निष्पक्षता के साथ निर्णय करेगा।

एआई जज के नुकसान –

भावनात्मक अभाव – जैसा कि बहुत से मामले मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत होते हैं ऐसे में भावना के अभाव के कारण निर्णय सही नहीं होंगे।


कानूनी जटिलता- हर मुकदमें की प्रवृत्ति अलग होती है जिसमें अलग-अलग कानूनी धारणा की आवश्यकता होती है।


डेटा बायस समस्या- यदि एआई को पक्षपाती डेटा से प्रशिक्षण हुआ हो, ऐसे में गलत फैसले की संभावना ज्यादा है।


साइबर सुरक्षा का खतरा – एआई सिस्टम प्रणाली हैक कर के न्याय
प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न की जा सकती है, निर्णय भी पक्षपातपूर्ण कराया जा सकता है।

एआई जज का भविष्य में कानूनी प्रक्रिया में भूमिका –

इसको कुछ प्रकार के मुकदमों में उपयोग किया जा सकता है
• डिजिटल कॉन्ट्रैक्ट विवाद– इसमें स्मार्ट कांट्रैक्ट और ब्लाकचेन डेटा का विश्लेषणात्मक अध्ययन करके निर्णय दिया जा सकता है।


ट्रैफिक नियम उल्लंघन संबंधित मामले- इसमें ट्रैफिक कैमरा का डेटा और नियम के आधार पर जुर्माना लगाया जा सकता है।


• छोटे मुकदमें और उपभोक्ता मामले- जिन मुकदमों में कानूनी प्रक्रिया जटिलता न हो, उसमें निष्पक्ष और त्वरित निर्णय ले सकता है।


• जमानत याचिका पर निर्णय- इसके माध्यम से मामले की गम्भीरता के आधार पर त्वरित निर्णय कर सकता है।

भारत में एआई जज की संभावना-

• AI जज+मानव जज- इसमें मानवीय जज और AI जज मिलकर मुकदमें देख सकते हैं। जिसमें AI जज केस डेटा का विश्लेषणात्मक अध्ययन कर के रिपोर्ट तैयार कर सकता है परंतु अंतिम निर्णय मानवीय जज के पास होना चाहिए।


• AI जज फैसलों की सिफारिश करें- इसमें AI जज निर्णय की सिफारिश कर सकता है परंतु अंतिम निर्णय मानवीय जज अपने विवेक के आधार पर लेगा।


• छोटे मामलों के लिए नियुक्त- इसमें परिवहन चालान, डिजिटल कॉन्ट्रैक्ट विवाद, उपभोक्ता शिकायत आदि छोटे मामलों के लिए नियुक्त हो सकता है।

निष्कर्ष:

एआई जज का वर्तमान में तो भारत की न्यायापालिका में कोई भूमिका नहीं है। परंतु यह भारतीय न्यायपालिका के लिए वरदान सिद्ध होगा। भारत में एआई जज प्रणाली को सुचारू और व्यवस्थित रूप से अपनाने पर मुकदमों का तेज़ी से निपटारा किया जा सकता है।

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