साइबर कानून
क्या आप जानते है? सन 2016 में एक साइबर हमला हमारे भारत देश में हुआ था जिसमें लाखों लोगों की निजी जानकारियां लीक कर ली गई थी। जिसके बाद भारत सरकार ने साइबर लॉ को मज़बूत बनाया ताकि ऐसी घटनाएं ना हो। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि यदि आपका अकाउंट हैक हो जाए या कोई डिजिटल धोखाधड़ी हो जाए तो आपके क्या अधिकार है?
आइए इस लेख में हम अपने अधिकार और ज़िम्मेदारियों को जानते है।
साइबर लॉ क्या है?
वह कानून जिसके ज़रिए कम्प्यूटर, इंटरनेट, नेटवर्क डिजिटल लेनदेन का नियंत्रण किया जाता है और साइबर अपराध से सुरक्षा प्रदान करता है।
इसमें साइबर अपराध, आनलाइन लेनदेन सुरक्षा, हैकिंग, फिशिंग, धोखाधड़ी, डेटा प्राइवेसी आदि सम्मिलित है।
साइबर क्राइम के कितने प्रकार के है?
हैकिंग- इसमें किसी भी कम्प्यूटर, वेबसाइट से बिना अनुमति के डेटा चुराया जाता है या डेटा को नुकसान पहुंचाया जाता है।
फिशिंग- इसमें ईमेल या वेबसाइट के जरिये धोखे से बैंकिंग डिटेल्स चुराया जाता है।
रैंसमवेयर- इसमें कम्प्यूटर के डेटा को लॉक करके फिरौती मांगा जाता है।
आनलाईन धोखाधड़ी- इसमें फर्जी वेबसाइट बनाकर या ऐप के माध्यम से पैसे ठगे जाते है।
साइबर बुलिंग- इसमें सोशल मीडिया पर गाली देना, धमकाना या किसी की बदनामी करना शामिल किया जाता है।
साइबर स्टॉकिंग- इसमें किसी को बार-बार ऑनलाइन मैसेज करके परेशान किया जाता है।
साइबर में साइबर लॉ और प्रमुख धाराएं-
भारत में 17 अक्टूबर 2000 को Information Technology Act, 2000 (IT act, 2000) को सुरक्षा एवं अपराध के लिए लागू हुआ । जिसमें सन 2008 में संशोधन किया गया। इसका प्रमुख कार्य साइबर अपराधों को रोकना और सजा़ करना, इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन, डेटा को सुरक्षित रखना और प्राइवेसी बनाये रखना, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नियंत्रित रखना शामिल है।
Information Technology Act, 2000 (IT Act,2000)
प्रमुख धाराएं एवं दंड-
धारा 43- अनाधिकृत प्रवेश करने पर 1 करोड़ रूपये जुर्माना।
धारा 66- हैकिंग और सिस्टम में बदलाव करने पर 3 साल की सज़ा एवं 1 लाख रूपये का जुर्माना।
धारा 67- अश्लील सामग्री फैलाने पर पहली बार कृत्य करने पर 3 साल की सज़ा एवं 5 लाख का जुर्माना, दूसरी बार कृत्य पर 5 साल की सज़ा एवं 10 लाख रूपये का जुर्माना।
धारा 69- इसमें सरकार किसी को डिजिटल गतिविधियों में संदिग्ध पाए जाने पर उसके इंटरनेट डेटा की निगरानी कर सकती है।
धारा 72- सरकारी अधिकारी या व्यक्ति द्वारा किसी का निजी डेटा लीक करने या दुरूपयोग करने पर 2 साल की सज़ा एवं 1 लाख तक का जुर्माना।
Information Technology (Amendment) Act, 2008 (IT Amendment Act,2008)
प्रमुख धाराएं एवं दंड-
धारा 43A- किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा किसी उपयोगकर्ता का डेटा सुरक्षित नही रखने पर उपयोगकर्ता के नुकसान होने पर कंपनी मुवावजा देगी।
धारा 66B- चोरी किए डेटा, उपकरण को जानबूझकर उपयोग करने पर 3 साल की सज़ा एवं 1 लखनऊ रुपये का जुर्माना।
धारा 66C- डिजिटल पहचान की चोरी करने पर 3 साल की सज़ा एवं 1 लाख रूपये का जुर्माना।
धारा 66D- ऑनलाइन धोखाधड़ी, फिशिंग, फर्जी वेबसाइट, फर्जी ईमेल के जरिये करने पर 3 साल की सज़ा एवं 1 लाख रुपये का जुर्माना।
धारा 66E- बिना किसी की सहमति के निजी तस्वीरें, वीडियो या कोई जानकारी ऑनलाइन शेयर करने (प्राइवेसी उल्लंघन) पर 3 साल की सज़ा एवं 2 लाख रुपये का जुर्माना।
धारा 69A- सरकार किसी की भी वेबसाइट देश विरोधी होने पर या सार्वजनिक व्यवस्था के खिलाफ पाए जाने पर ब्लॉक कर सकती है। सरकार के आदेश का पालन नहीं करने पर 7 साल की सज़ा का प्रावधान।
धारा 70B- सरकार द्वारा एक सुरक्षा एजेंसी ‘CERT-In) बनायी गयी। जो भारत में साइबर सुरक्षा की निगरानी व साइबर हमलों को रोकेगी।
धारा 72A- कोई कंपनी या व्यक्ति बिना सहमति के किसी का डेटा किसी को शेयर करता है या बेचता है तो 3 साल की सज़ा और 5 लाख तक जुर्माना।
साइबर क्राइम की शिकायत कैसे करें?
1.ऑनलआइन पोर्टल- www.cybercrime.gov.in
2.साइबर क्राइम हेल्पलाइन- 1930 पर कॉल करें।
3.अपने नज़दीकी पुलिस स्टेशन मेंं शिकायत दर्ज करायें।
धन्यवाद! इसी प्रकार के कानूनी जानकारी के लिए हमारी वेबसाइटwww.judiciaryofindia.com बने रहें।
Disclaimer- यह जानकारी केवल शिक्षा एवं जागरूकता के लिए है। इसमें दी गई सभी जानकारियां सार्वजनिक स्रोतों एवं सरकारी दस्तावेजों पर आधारित है।