Waqf board (amendment) bill 2025
वक़्फ़ बोर्ड को सन 1954 में मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और परोपकारी कार्यों के लिए दान की गई संपत्तियों की देखभाल,उनकी सुरक्षा करने और उपयोग करने के लिए बनाया गया था। समय-समय पर वक्फ़ बोर्ड पर भ्रष्टाचार और पक्षपात करने का आरोप लगता रहा है, जिसके कारण स्वरूप इसमें बदलाव और सुधार की मांग होती रही है।
आइये इस संशोधन विधेयक को विस्तार से जानते है्
वक्फ़ का क्या अर्थ है?
वक्फ़ का मतलब दान होता है। वक्फ़ का अर्थ है कि किसी संपत्ति को अल्लाह (ईश्वर) के नाम पर स्थायी रूप से धार्मिक और परोपकारी कार्य के लिए दान कर देना होता है।
वक्फ़ बोर्ड क्या है?
यह एक कानूनी और प्रशासनिक निकाय है। जिसकी स्थापना वक्फ़ अधिनियम 1954 के तहत किया गया। जिसके ज़रिए मुस्लिम वक्फ़ संपत्तियों की देखभाल, प्रबंधन और नियमन किया जाता है।
वक्फ़ के कार्य क्या है?
इसके प्रमुख कार्य वक्फ़ सम्पत्तियों की सुरक्षा करना। वक्फ़ की संपत्ति पर अवैध कब्जा होने की स्थिति में उसको सुरक्षित करना। मदरसो, अस्पतालों, अनाथालयों में आय का सही उपयोग सुनिश्चित करना। निजी स्वार्थ के लिए वक्फ़ जमीन का उपयोग करने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए वक्फ़ संपत्ति का रिकॉर्ड तथा रजिस्ट्रेशन करना भी इसका प्रमुख कार्य है साथ ही किसी भी प्रकार के विवाद के समाधान के लिए वक्फ़ बोर्ड, वक्फ़ ट्रिब्यूनल का संचालन करना है।
वक्फ़ बोर्ड (संशोधन) विधेयक 2025
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा वक्फ़ बोर्ड (संशोधन) विधेयक पारित करने की बात कही गई है, जिसके विरोध में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विधेयक पारित होने की स्थिति में देश भर में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
इस संशोधन विधेयक में मुख्य रूप से कुछ महत्वपूर्ण बिंदु पर संशोधन किया जा सकता है।
• वक्फ़ संपत्ति पुनर्परिभाषित होगी।
• अतिक्रमण के मामले पर सख्त नियम होंगे।
• बोर्ड द्वारा आय-व्यय का हिसाब देना होगा।
• सरकार, जनहित योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण कर सकेगी।
• भ्रष्टाचार के होने पर जांच का प्रावधान होगा।
• संपत्ति विवाद के समाधान के लिए एक न्यायिक निकाय भी बनाया जा सकता है
• अतिक्रमण संदिग्ध दावों की जांच के लिए एक समिति भी बनाया जा सकता है।
विधेयक के पक्ष में सरकार का कहना है कि इससे बोर्ड के कार्य में पारदर्शिता बढ़ेगी, अवैध कब्जे कम होंगे और अनाधिकृत कब्जे हटेंगे।
विधेयक के विपक्ष में कहना है कि धार्मिक अधिकार का हनन होगा जिससे मुसलमानों की धार्मिक संपत्तियों को हानि भी हो सकती है। अधिग्रहण तथा संपत्ति विवादो की संख्या न्यायालय में बढ़ सकती है।
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