भारतीय न्यायपालिका के इतिहास का स्वर्णिम दिन – सुप्रीम कोर्ट का पहला सीधा लाइव प्रसारण

 भूमिका (Introduction)

भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में 9 जुलाई 2024 एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जब सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने पहली बार संविधान पीठ की कार्यवाही का लाइव प्रसारण किया। यह कदम न केवल पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, बल्कि आम नागरिकों को न्याय प्रक्रिया से जोड़ने का एक प्रभावशाली माध्यम भी बन गया है।

️ सुप्रीम कोर्ट की यह ऐतिहासिक पहल क्यों महत्वपूर्ण है?

भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही हमेशा चर्चा का विषय रही है। आम जनता के बीच न्यायिक प्रक्रिया की जटिलता और अपारदर्शिता को लेकर अनेक प्रश्न उठते रहे हैं। ऐसे में लाइव स्ट्रीमिंग का निर्णय एक ऐसा कदम है जिससे नागरिक सीधे न्यायिक कार्यवाही को देख और समझ सकते हैं।

 लाइव स्ट्रीमिंग की शुरुआत: क्या हुआ 9 जुलाई को?

तिथि: 9 जुलाई 2024

मंच: Supreme Court की आधिकारिक यूट्यूब चैनल

कार्यवाही: संविधान पीठ की सुनवाई (Constitution Bench Hearing)

पीठ के सदस्य: 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ

प्रसारण का विषय: महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दों पर सुनवाई

उद्देश्य: पारदर्शिता बढ़ाना और नागरिकों को संवैधानिक बहसों से जोड़ना

 लाइव स्ट्रीमिंग का कानूनी और संवैधानिक आधार

✅ Swapnil Tripathi बनाम भारत संघ (2018)

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि:

> “न्यायपालिका में पारदर्शिता और जनता की भागीदारी आवश्यक है। अदालत की कार्यवाही का लाइव टेलीकास्ट संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता – के अंतर्गत नागरिकों का अधिकार है।”

✅ संविधान का समर्थन

अनुच्छेद 145(4): सभी निर्णय खुले न्यायालयों में सुनाए जाने चाहिए।

मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की भूमिका: सूचना के अधिकार और न्याय में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

 अन्य देशों में लाइव कोर्ट की व्यवस्था

अमेरिका: ऑडियो रिकॉर्डिंग की अनुमति

यूके: सुप्रीम कोर्ट कार्यवाही यूट्यूब पर लाइव होती है

कनाडा: अधिकांश संवैधानिक मामलों का सीधा प्रसारण

भारत: अब सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ से इसकी शुरुआत की है

 इसके क्या लाभ होंगे? (Benefits of Supreme Court Live Streaming)

 1. पारदर्शिता में वृद्धि

जनता अब देख सकती है कि न्याय कैसे होता है — “Justice should not only be done, but should be seen to be done.”

 2. न्यायिक शिक्षा

कानून के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए यह एक अमूल्य स्रोत है।

 3. सार्वजनिक विश्वास में वृद्धि

लोगों को न्यायपालिका पर भरोसा और बढ़ेगा।

 4. फेक न्यूज पर नियंत्रण

सीधा प्रसारण होने से मीडिया द्वारा गलत तथ्यों के प्रचार की संभावना कम होगी।

⚖️ क्या चुनौतियाँ भी हैं?

⚠️ 1. गोपनीयता का मुद्दा

कुछ मामलों में पक्षकारों की पहचान उजागर हो सकती है।

⚠️ 2. मीडिया ट्रायल की आशंका

लाइव प्रसारण का गलत इस्तेमाल कर जनता में पक्षपात फैलाया जा सकता है।

⚠️ 3. तकनीकी बाधाएँ

प्रसारण की गुणवत्ता, इंटरनेट व्यवधान और साइबर सुरक्षा मुद्दे भी हैं।

易 निष्कर्ष (Conclusion)

9 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का पहला लाइव प्रसारण भारतीय न्यायिक इतिहास में पारदर्शिता का नया अध्याय है। यह न केवल संविधान के मूल सिद्धांतों — स्वतंत्रता, पारदर्शिता, और उत्तरदायित्व — को और मजबूत करता है, बल्कि न्यायपालिका को आम जनता से जोड़ने का एक ऐतिहासिक प्रयास भी है।
आने वाले समय में यह कदम भारत को एक डिजिटल न्याय प्रणाली की ओर और अधिक गतिशील बनाएगा।

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